ज़िन्दगी में कर लिया गर मैंने Adjust,
तो ज़िन्दगी कितनी खुशहाल होगी,
ना मुझसे होगी कोई खता,
ना उसे किसी सुलह की दरकार होगी ।।।
कहनी थी कभी बातें हज़ारों तुमसे,
Adjust करने के सिलसिले में रह गया,
याद नहीं रहा कुछ भी उसमे से अब,
इसी काफिले में ये 'Rahul' बह गया ।।।
ज़िन्दगी में जब से कर लिया मैंने Adjust,
ज़िन्दगी तब से कितनी खुशहाल हो गयी,
ना मुझसे होती है कोई खता,
ना उसे किसी सुलह की दरकार रह गयी ।।।
तो ज़िन्दगी कितनी खुशहाल होगी,
ना मुझसे होगी कोई खता,
ना उसे किसी सुलह की दरकार होगी ।।।
कहनी थी कभी बातें हज़ारों तुमसे,
Adjust करने के सिलसिले में रह गया,
याद नहीं रहा कुछ भी उसमे से अब,
इसी काफिले में ये 'Rahul' बह गया ।।।
ज़िन्दगी में जब से कर लिया मैंने Adjust,
ज़िन्दगी तब से कितनी खुशहाल हो गयी,
ना मुझसे होती है कोई खता,
ना उसे किसी सुलह की दरकार रह गयी ।।।
--- राहुल जैन (*11:20PM on 09-06-2013*)