दौड़ती ज़िन्दगी की इस तानाशाही में,
तकदीर लिखी गयी है हमारी काली स्याही में,
वतनपरस्तों को करके नेस्तोनाबूद यहाँ,
बेच रहे हैं वो देश को पार्लियामेंट में वहाँ,
बह रहा खून की जगह रगों में अब पानी है,
ऐसे में अच्छे वक़्त की उम्मीद करना बिल्कुल बेमानी है!!
देश के नौजवानों ने ही अब कुछ कर गुजरने की ठानी है,
उनकी एकजुटता से हमें ये नौकरशाही हटानी है,
हमारी आने वाली पीढ़ी को देश की ये दशा नहीं दिखलानी है,
उन्हें तो बस एक सफल सम्रध भारत की कल्पना दर्शानी है,
तानाशाह इस ज़िन्दगी से मुक्ति दिलानी है,
तकदीर लिखने वाली स्याही बदलवानी है, बस सभी की ज़िन्दगी हसीन बनानी है !!!
-- राहुल जैन (*12:35 AM on 07-07-2012*)
तकदीर लिखी गयी है हमारी काली स्याही में,
वतनपरस्तों को करके नेस्तोनाबूद यहाँ,
बेच रहे हैं वो देश को पार्लियामेंट में वहाँ,
बह रहा खून की जगह रगों में अब पानी है,
ऐसे में अच्छे वक़्त की उम्मीद करना बिल्कुल बेमानी है!!
देश के नौजवानों ने ही अब कुछ कर गुजरने की ठानी है,
उनकी एकजुटता से हमें ये नौकरशाही हटानी है,
हमारी आने वाली पीढ़ी को देश की ये दशा नहीं दिखलानी है,
उन्हें तो बस एक सफल सम्रध भारत की कल्पना दर्शानी है,
तानाशाह इस ज़िन्दगी से मुक्ति दिलानी है,
तकदीर लिखने वाली स्याही बदलवानी है, बस सभी की ज़िन्दगी हसीन बनानी है !!!
-- राहुल जैन (*12:35 AM on 07-07-2012*)
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