बढ़ते काम के बोझ और पैसों की भूख के चलते,
मुझे इंसान के मशीन बन जाने का डर लगता है !!!
भाइयों और दोस्तों के बीच बढ़ती रंजीशें देखकर,
मुझे अब रिश्तों की सच्चाई से डर लगता है !!!
२०१२ के प्रलय की भविष्यवानियाँ सुनकर,
मुझे अपने आने वाले कल से डर लगता है !!!
और रोज़ शाम को ढ़लते हुए इस सूरज को देखकर,
अपने मिलते हुए सम्मान से डर लगता है, बहुत डर लगता है !!!
--- राहुल जैन (* 15-04-2011 *)
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