ऐसी भी क्या दूरियां,
ऐसी भी क्या मजबूरियाँ !!!
ऐसी भी क्या मजबूरियाँ !!!
कभी तो थी आपसे दोस्ती इतनी गहरी,
और कभी आपने हमे देखकर ही अपनी आँखें फेरी !!!
क्यों है ये दूरियां,
क्या है ये मजबूरियाँ ???
कभी तो आपके चेहरे पर थी वो खिलखिलाती सी हंसी,
और कभी हमें लगता था की ये है बड़ी ही cHiRPy,
पर पता नहीं क्यों आज दिन बदला,
नहीं जानता मैं क्यों, पर आज वक़्त भी बदला,
पर कितनी ही थी दूरियां,
कितनी ही थी मुश्किलें,
बस ना बदले हैं तो वो हैं हम
और येही गुजारिश है की अब ना ही बदलना तुम !!!
ऐ मेरे दोस्त, ऐ मेरे हमदम !!!
--- राहुल जैन (*2:39 AM on 14-10-2011*)
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