21 Sept 2011

कैसा असमंजस !!!

दिल के जितने करीब है तू,
उतना कभी कोई न था !!!

मुझे हो जायेगी तुझसे ऐसी मोहब्बत,
इसका कतई अंदेशा न था !!!

मुझे क्यों हो गयी तुझसे इतनी मोहब्बत, 
ये भी मुझे नहीं है पता !!! 

चाहता है ये दिल हमेशा तुझे बात-ऐ-मुलाकात,
तो इसमें क्या है मेरी खता !!!

तू बन गयी है मेरी जानशीन,
अब कैसे रहू तेरे बिना,
इसका नहीं है मेरे पास भी कोई जवाब,
ये असमंजस अब तू ही सुलझा, ऐ जान-ऐ-तमन्ना तू ही सुलझा !!! 


--- राहुल जैन (*11:14 PM on 21-09-2011*)