9 Jun 2013

Adjust !!!

ज़िन्दगी में कर लिया गर मैंने Adjust, 
तो ज़िन्दगी कितनी खुशहाल होगी, 
ना मुझसे होगी कोई खता,
ना उसे किसी सुलह की दरकार होगी ।।।

कहनी थी कभी बातें हज़ारों तुमसे,
Adjust करने के सिलसिले में रह गया, 
याद नहीं रहा कुछ भी उसमे से अब, 
इसी काफिले में ये 'Rahul' बह गया ।।। 

ज़िन्दगी में जब से कर लिया मैंने Adjust, 
ज़िन्दगी तब से कितनी खुशहाल हो गयी, 
ना मुझसे होती है कोई खता,
ना उसे किसी सुलह की दरकार रह गयी ।।।

--- राहुल जैन (*11:20PM on 09-06-2013*)

18 Mar 2013

सीखो !!!

दूसरों की गलतियों को माफ़ करना भी सीखो, 
बेगुनाहों के साथ इन्साफ करना भी सीखो, 
और गर पानी सर से ऊँचा उठ जाए, 
तो उनकी यादों को अपनी ज़िन्दगी से साफ़ करना भी सीखो !!!

--- राहुल जैन (*2:14 AM on 18-03-2013*)

13 Mar 2013

My Inspiration, My MOM


With a smile on her face,
For 9 long months she bore the pain,
Always loved me in the same manner,
Be it sunshine or be it rain,

 Kept awake for me all night,
When I fell sick,
And then would wake up to be ready for work,
When 6AM in clock would tick,

In this fast paced world,
She taught me how to walk,
Amongst the highly vociferous crowd,
she taught me how to diligently talk,

Never ever have I seen her
Shirk from any of her chores,
Still would have time,
To take me walking to the shore,

Always cheered me up,
When I was upset or sad,
Stood there listening with a calm,
When at times I got mad,

People believe their closest one in life,
Would be some girl from a Rom-Com,
For me, My dearest friend in life,
Would always be my lovely Mom !!!

 LOVE YOU MOM & Wish you a very HAPPY WOMEN's DAY :-)

 -- Rahul Jain (*2:10 PM on 08-03-2013*)

5 Mar 2013

इश्क़ !!!

खुदा ने जब इश्क़ का तसव्वुर फरमाया होगा,
तसव्वुर में खुद को शर्मिंदा पाया होगा,
इस एहसास को जज़्ब करना की मेरी क्या बिसात,
इस ढाई अक्षर की सोच ने खुदा को भी बहकाया होगा !!!

फिर, 
खुदा ने जब आखिरकार इश्क़ बनाया होगा,
तो पहले खुद पर ही आजमाया होगा,
इश्क़ करने की मेरी हैसियत ही क्या है,
इस इश्क़ ने तो खुदा को भी रुलाया होगा !!!


--- राहुल जैन (*11:46 PM on 05-03-2013*)
[It uses a few lines from other couplets]

23 Jan 2013

और मैं देखता ही रह गया !!!

एक-एक करके सारी कड़ियाँ खुलती चली गयीं,
और मैं देखता ही रह गया !!!
बचपन की सारी यादें बिखरती सी चली गयी, 
और मैं बस देखता ही रह गया !!!

बिखरती यादों से दिल की भावनाएं टूटी,  

और मैं बस देखता ही रह गया !!!
संभाला दिल को तो दूरी दर्द देती चली गयी, 
और मैं बस देखता ही रह गया !!!

सोचा की इन कड़ीयो का टूटना अब रोक दूंगा, 

दर्द की इन सभी वजहों का मुंह मोड़ दूंगा,
रिश्तों की ज़ंजीर को खुद से फिर जोड़ दूंगा,
पर मैं फिर भी देखता ही रह गया !!!

वजह की खोज में दिन-रात भटकता रह गया, 

छोटी छोटी परेशानियों में अटकता रह गया, 
दर्द मिटाने का मरहम खोजता रह गया,
रिश्तों-नातों को बांधे रखने के बारे में सोचता रह गया, 

पर बदला कुछ भी नहीं, 

या यूँ कहूँ की बदल पाया कुछ भी नहीं, 
क्योंकि मैं सिर्फ देखता ही रह गया, 
क्यों मैं बस देखता ही रह गया, क्यों बस देखता ही रह गया ???

--- राहुल जैन (*1:22 AM on 23-01-2013*)