20 Oct 2012

बस अपनी दुनिया खोज रहा हूँ मैं !!!

बस अपनी दुनिया खोज रहा हूँ मैं,
बस अपनी दुनिया खोज रहा हूँ मैं ...

बचपन की यादों में,
यारों के वादों में,
दोस्ती के छलावों में,
यादों के भुलावों में,

चाय के उन प्यालों में,
करीबी दोस्तों के ख्यालों में,
उन मीठी तकरारों में,
उनके झूठे करारों में,

बस अपनी दुनिया खोज रहा हूँ मैं, बस अपनी दुनिया खोज रहा हूँ मैं ...

कश्मीर की उन वादियों में,
ज़िन्दगी की उन आजादियों में, 
कन्याकुमारी के अथाह सागर में,
प्यास बुझाते उस छोटे गागर में,

नामचीन किताबों की पढाई में,
भ्रष्टाचार की सच्ची लड़ाई में,
अनंतकालीन नेताओं के भाषण में, 
नाममात्र दिए गए गरीबों के राशन में, 

बस अपनी दुनिया खोज रहा हूँ मैं, बस अपनी दुनिया खोज रहा हूँ मैं ...

साम्प्रदायिक लडाइयां 'राहुल' से ये कहती हैं,
देश की दशा आज भी दर्द देती है,
बस आज दर्द-ऐ-दिल लफ़्ज़ों में बयान कर रहा हूँ, 
अभी भी मैं बस अपनी प्यारी दुनिया ही खोज रहा हूँ।।।

--- राहुल जैन (*9:22 PM on 20-10-2012*)

10 Oct 2012

ये इज़हार-ऐ-इश्क़ !!!

हुस्न-ऐ-बला है ही तुम्हारा कुछ ऐसा,
जिसका बखान कर ही नहीं पाए थे 'हायल' !!!

तबस्सुम की रौशनी भी छितरा सी जाए,
जब छनकाओ तुम अपनी ये पायल !!!

महफ़िल-ऐ-तरन्नुम में अलफ़ाज़ जो तुमने दागे कुछ तरह,
जज़्बात-ऐ-बयाँ के हम भी हो गए कायल !!!

इज़हार-ऐ-इश्क़ का अंदाज़ था ही बेहद कातिलाना, 
की करता सा चला गया हमें बेइन्तहाशा  घायल, बेइन्तहाशा  घायल !!!

--- राहुल जैन ( *03:02 PM on 10-10-2012* )